खिला हुआ कोमल गुलाब हो तुम
किसी सायर कि ख्वाब हो तुम
निली आँखे होठ कुछ केह राहा हे
ऐसा लग्ता हे लाजबाब हो तुम
सच मे राधा खुदा भी आशिक बनजाए
खुबसुरती बया जो करे वो किताब हो तुम
बिक्रम गिरी "अपरिचित"
चन्द्रौटा कपिलबस्तु
किसी सायर कि ख्वाब हो तुम
निली आँखे होठ कुछ केह राहा हे
ऐसा लग्ता हे लाजबाब हो तुम
सच मे राधा खुदा भी आशिक बनजाए
खुबसुरती बया जो करे वो किताब हो तुम
बिक्रम गिरी "अपरिचित"
चन्द्रौटा कपिलबस्तु
No comments:
Post a Comment