आते हे अफसाने पल भर मे टुट जाते हे
कई रिस्ते तो दो कदमो मे हि छुट जाते हे
यारा ईश्क मे क्यु लोगोको चोट मिला हे
नजाने क्यु हमसफर एसे हि रुठ जाते हे
कई आशिक तो ईन्तजार करते रेहेते हे
बाकि तो उनकी बेवफाई से लुट जाते हे
बिक्रम गिरी "अपरिचित"
चन्द्रौटा कपिलबस्तु
कई रिस्ते तो दो कदमो मे हि छुट जाते हे
यारा ईश्क मे क्यु लोगोको चोट मिला हे
नजाने क्यु हमसफर एसे हि रुठ जाते हे
कई आशिक तो ईन्तजार करते रेहेते हे
बाकि तो उनकी बेवफाई से लुट जाते हे
बिक्रम गिरी "अपरिचित"
चन्द्रौटा कपिलबस्तु
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