Sunday, May 18, 2014

आते हे अफसाने पल भर मे टुट जाते हे
कई रिस्ते तो दो कदमो मे हि छुट जाते हे

यारा ईश्क मे क्यु लोगोको चोट मिला हे
नजाने क्यु हमसफर एसे हि रुठ जाते हे

कई आशिक तो ईन्तजार करते रेहेते हे
बाकि तो उनकी बेवफाई से लुट जाते हे

बिक्रम गिरी "अपरिचित"
चन्द्रौटा कपिलबस्तु

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